चरक भवन अस्पताल में बवाल! इलाज के बीच परिजनों ने मचाया तांडव, घायल डॉक्टर-नर्स; अस्पताल स्टाफ ने किया कार्य बहिष्कार!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
उज्जैन के चरक भवन अस्पताल में सोमवार देर रात एक शर्मनाक और खौफनाक वारदात सामने आई, जिसने पूरे चिकित्सा समुदाय को हिला कर रख दिया। विश्व बैंक कॉलोनी की 14 वर्षीय बालिका अंजली सौंधिया को मिर्गी (फिट्स) की समस्या के चलते देर रात अस्पताल लाया गया था। डॉक्टरों ने तुरंत परीक्षण कर उपचार शुरू कर दिया। लेकिन रात करीब 11:30 बजे बालिका के परिजनों ने उसे आईसीयू में शिफ्ट करने की मांग की। डॉक्टरों ने उनकी बात मानते हुए मरीज को आईसीयू में स्थानांतरित किया, लेकिन इसके बावजूद परिजन इलाज से असंतुष्ट रहे और देखते ही देखते अस्पताल का माहौल बेकाबू हो गया।
इलाज को लेकर नाराज 5 से 7 युवकों ने अचानक अस्पताल परिसर में जमकर हंगामा शुरू कर दिया। उन्होंने न सिर्फ काउंटर से सरकारी कागजात फेंके, बल्कि मुख्य द्वार और आईसीयू के शीशे भी तोड़ दिए। यही नहीं, आईसीयू में रखे गए चिकित्सा उपकरणों को भी नुकसान पहुंचाया गया। इस हिंसा के दौरान एक डॉक्टर और एक स्टाफ नर्स को गंभीर चोटें आईं। डॉक्टरों के अनुसार, आरोपियों की यह आक्रामकता इलाज में बाधा बनी और बाकी मरीजों की जान भी खतरे में आ गई।
घटना के बाद आरोपी बालिका को पुलिस की गाड़ी में लेकर अस्पताल से रवाना हो गए। अस्पताल प्रबंधन ने तुरंत इस मामले की सूचना सीएमओ डॉ. अजय दिवाकर को दी, जिसके बाद डॉक्टर मोहन पंडित की शिकायत पर कोतवाली थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
मंगलवार सुबह तक यह मामला और गरमा गया, जब डॉक्टरों और नर्सों ने कुछ समय के लिए कार्य बहिष्कार कर दिया। प्रदर्शन के दौरान उन्होंने सीएमओ से मिलकर कहा कि जब अस्पताल में इलाज करते समय जान का खतरा हो, तो वह कैसे काम करें? स्टाफ ने सीधी मांग रखी – “हमारी सुरक्षा कौन करेगा?”
सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी अस्पताल पहुंचे और स्थिति को शांत कराया। सीएमओ डॉ. दिवाकर ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि शासन-प्रशासन से सुरक्षा को लेकर तुरंत बात की जाएगी। इस घटना में अस्पताल को लगभग 5 से 6 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
घटना की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश चिकित्सा अधिकारी संघ के उज्जैन जिला अध्यक्ष डॉ. अनिल भार्गव ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यह केवल अस्पताल पर हमला नहीं है, बल्कि पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था पर हमला है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अस्पताल में लगभग दो हजार लोगों की मौजूदगी रहती है, तो सुरक्षा के नाम पर कोई व्यवस्था क्यों नहीं है? पहले अस्पताल में एक-चार गार्ड और रात में गनमैन डॉक्टर के साथ रहता था, जिससे सुरक्षा की भावना बनी रहती थी। अब हालात यह हैं कि पुलिस को बुलाने पर भी कोई समय पर नहीं आता। संघ ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है और इस पूरे मामले को डीजीपी के समक्ष भी रखने का निर्णय लिया है।